मयूरी शर्मा
मेरा नाम मयूरी शर्मा है। मैं पश्चिम बंगाल के आसनसोल जिले में रहती हूंँ।
मैंने अपने घर में बचपन से पूजा-पाठ देखा है और उसी क्रम में किया भी है। पूजा का मुख्य उद्देश्य केवल कर्मकांड ही समझती आई हूँ । चालीसा पढ़ना, विधि से शंकर भगवान की पूजा करना, सोमवार व्रत, प्रदोष व्रत, वैभव लक्ष्मी व्रत आदि सब कुछ किया किंतु इसका सार क्या है, यह कभी नहीं जाना। कामना यही होती थी कि अच्छा पति मिले, पति मिल गया तो बच्चे, घर, धन यानी केवल कामना ही कामना।
2022 में जब आदरणीय श्री श्वेताभ पाठक जी (गुरुवर) का सान्निध्य प्राप्त हुआ तो हमारी दुनिया ही बदल गई। एक-एक करके सारे प्रश्नों के उत्तर मिलते गए। पूजा का मतलब समझ में आया, भाव कितने जरूरी है यह समझ में आ गया l रूपध्यान किस चिड़िया का नाम है वह भी समझ में आ गया, यह नाम मैंने पहले कभी सुना ही नहीं था।
प्रभु से प्रेम करना, प्रिया-प्रियतम के लिए रोना, रोने में कितना सुख और आनंद है यह सब गुरुवर से जाना । जब प्रथम शिविर वृंदावन में हुआ तो बहुत ही आनंद आया। सबसे मिलने पर प्रेम व अपनापन, कितना उल्लास था एक-दूसरे से मिलने काका; वास्तव में वह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
आदरणीय श्वेताभ पाठक जी (गुरुवर) ने हमें बहुत प्रेम, ज्ञान, साधना सब कुछ दिया है, गुरुवर ने बिना किसी स्वार्थ के हमें सब दिया। हम आपके अनंत आभारी रहेंगे कि हम जैसे पतितों के शीश पर आपने अपना हाथ रखा। भगवान से विनती है कि आपका (गुरुवर) सान्निध्य हमें ऐसे ही मिलता रहे एवं प्रेम, साधना और भक्ति के मार्ग पर हम निरंतर आगे बढ़ते जायें।